ज़िंदगी की राह में अनगिनत मुश्किलें आईं,
पर मैं हर तूफ़ान से डटकर लड़ती रही।
आँसू भी आए — कुछ अपने ग़म में,
कुछ अपनों की खुशी में,
पर मैंने माथे पर शिकन तक आने न दी।
क्यों दिखाऊँ दुनिया को कि मुझे भी तकलीफ़ होती है?
क्यों न यह दिखाऊँ कि तकलीफ़ सिर्फ़ एक शब्द है,
जिससे हर कोई लड़ सकता है,
अगर उसके भीतर हिम्मत बाकी है।
जिंदगी की लड़ाई —
खुद ही लड़नी पड़ती है।
हम आए हैं अकेले, और जाएंगे भी अकेले।
न कोई साथी, न कोई संबंधी —
सब यहीं छूट जाएंगे।
रहेगी तो बस आपकी कामयाबी,
आपकी होशियारी,
आपकी मेहनत।
इसी आत्मविश्वास के सहारे मैं बढ़ती रही,
चलती रही…
और आज इस मोड़ पर खड़ी हूँ
जहाँ मेरी नज़र में बस कामयाबी ही कामयाबी है।
ज़िंदगी में कभी हार मत मानो।
याद रखो —
तुम्हारा भविष्य, तुम्हारे अपने हाथों में है।
✍️ जादू की कलम