शिव आयेंगे
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अभी अभी मित्र यमराज का फोन आया
सगर्व उसने मुझसे शिकायत करने लगा
प्रभु! कहाँ सो रहे हो, क्या आलसी हो गये हो।
मैंने उससे कहा- तू ऐसा क्यों बोल रहा है?
क्या मेरा सारा काम अब तू ही कर रहा है?
मुझे पता है, तू क्या कहना चाहता है
शिव आयेंगे यही बताना चाहता है।
यमराज झेंपते हुए बोला - हाँ प्रभु!आप तो अंर्तयामी हो
बिना कहे ही सब जान लेते हो,
मेरा अहसान मानो कि आप मेरे मित्र हो
तभी तो इतने समझदार हो।
मानता हूँ यार, अहसान भी मानता हूँ
अब मेरी बात ध्यान से सुन
तेईस जुलाई को शिवतेरस और
छब्बीस जुलाई को महाशिवरात्रि है,
शिव के भक्तों का सैलाब सड़कों पर है
उन सबका लक्ष्य शिवालय और शिव मंदिर है
कांवड़ियों के काँधों पर गंगाजल से भरा पात्र है
शिव को जल अर्पण का सभी का एक अदद विश्वास है
आम हो या खास, अमीर हो गरीब, स्त्री हो या पुरुष
बूढ़े, बच्चे, जवान सबके मन में लड्डू फूट रहे हैं,
शिव आयेंगे, इसीलिए सब शिव की राह देख रहे हैंं,
वैसे तो हर प्राणी अपने आप में शिव है
पर मानवीय संवेदनाओं का यही तो ज्वार है।
जिसे अपने भगवान भोलेनाथ समझते हैं,
इसीलिए तो अपने भक्तों के हृदय में बसते हैं
हर किसी पर अपनी कृपा बरसाते हैं,
सबके कल्याण का भाव ही नहीं
शिव आयेंगे, यह विश्वास भी जगाते हैं।
बीच में ही यमराज बोल पड़ा
बस! प्रभु समझ गया - इसीलिए तो हर शिव भक्त
भोलेनाथ की जय जयकार करते हैं
बम-बम भोले, ऊँ नमः शिवाय का जयघोष करते हैं
और हम आप भी हर हर महादेव गाते हैं,
और अब हम जय भोलेनाथ बोलकर फोन रखते हैं,
शिव बाबा की अगुवानी के लिए जल्दी ही आकर
हम भी आपके साथ ही चलते हैं,
अपनी राम कहानी औघड़ दानी को सुनाते हैं,
हम-आप मित्र हैं, यह भी भोलेनाथ को बताते हैं,
शिव के धाम तक अपनी और अपनी यारी की
खूब जय-जयकार कराने की एक राह बनाते हैं,
भगवान शिव के चरणों में सिर रखकर
हम- आप मिलकर फरियाद करते हैं,
शिव आयेंगे, का बैनर पोस्टर सारे देश में लगवाते हैं, मीडिया, सोशल मीडिया में अपना भौकाल जमाते हैं।
सुधीर श्रीवास्तव