✨ "चलो फिर से सपने बुनें" ✨
चलो फिर से सपने बुनें,
गिरे थे जहाँ से वहीं से उठें।
हर हार को मानें न हम,
अँधेरों में भी दीपक जुटें।
छोटे कदम भी मंज़िल को पाएँ,
सच्चे इरादे राह दिखाएँ।
जो भी ठोकर लगे रास्तों में,
उन्हीं से हम सबक सीख जाएँ।
तूफानों से डरो नहीं अब,
कश्ती को खुद ही खेना है।
ये ज़िंदगी है इम्तिहान,
पर हौसला ही तो जीत का गहना है।
तो चलो फिर से आगे बढ़ें,
नयें सवेरा की ओर चलें।
हर मुश्किल को मात दें हम,
अपने ही उजाले से जलें
और इस जहां को रौशन करे।।