जाने क्या लिखा था 💔💔
कुछ शामें हमारे नाम लिखी थी
उन शामो मै हमारी मुलाकाते लिखी थी
नज़दीकियों उन दिनों कुछ ज्यादा लिखी थी
नजदीकीया किया होने के बाद भी
बीच मैं एक दीवार रहनी लिखी थी
मुलाकात मै दोनों के चेहरे पर एक मुस्कान आती थी
लेकिन मुस्कान ना एक दुझे को दिखाई जाती थी
कहना मुश्किल है दिल लगी एक तरफा थी या दोतरफा
थोड़ी सी तड़प तो थी जो एक दुखे को किसी ओर के साथ
देख ले तो आंखों मैं जलन तो थी
कुदरत ने दोनों का मिलना तो लिखा था
लेकिन ताउम्र के लिए एक दूजे का होना न लिखा था
दोनों के बीच ये प्यार का अहसास तो लिखा था
लेकिन तकदीर ने उनका एक होना न लिखा था
लिखा था दोनों का जुदा होना
लेकिन आखिर तक समझ ना आया
फिर दोनों का मिलना क्यों लिखा था
जाने क्यों दोनों की तक़दीर ने ऐसी कहानी लिखी थी
पूरी होके भी अधूरी लिखी थी💔