मैं क्यों लिखती हूँ?
मैं लिखती हूँ… क्योंकि कुछ बातों का कोई श्रोता नहीं होता,
कुछ चुप्पियाँ जवाब मांगती हैं।
कभी खुद को समझने के लिए, कभी खुद को ही समझाने के लिए… मैं लिखती हूँ।
मुझे फर्क नहीं पड़ता कि कौन पढ़ता है,
बस एक उम्मीद रहती है कि
जिसे दर्द छू गया है 💔 वो मेरी बात ज़रूर समझेगा।
ये मेरी शुरुआत है —
लेकिन हर शुरुआत में एक पूरी दुनिया छुपी होती है
शब्दों की मेरी ये दुनिया, आज तुम्हारे हवाले…
- tanu saifi