चौपाई - जगन्नाथ जी
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जगन्नाथ जी का रथ खींचें।
भक्त खुशी से आँखे खींचें।
बड़भागी अवसर जो पाया।
जनमानस में हर्ष समाया।।
जगन्नाथ जी नजर घुमाओ।
नाहक इतना न शरमाओ।
भक्त आपके द्वार खड़े हैं।
सब बच्चे हैं नहीं बड़े हैं।।
सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)