मैं जाने से पहले कभी अलविदा नहीं बोलूंगा
नहीं बोलूंगा कि मैं अथाह गहरे समुद्र में हूं
जिसमें मानवता और दिव्यता मेरा कवच है
मैं ओझल संसार का दार्शनिक हूं जहां
प्रेम उत्कर्ष के महिमामंडन में आराम करता है
एक अजनबी श्वास के साथ अतीत तक
कितने घने मेघ तन आये हैं न छत पर
जिंदगी की छत या फिर कुंहरा है यह
जो भ्रम फैला रहा है सिर्फ बादल का
क्या भावनाओं के गहरे समुद्र में
शब्दों के प्रीतम के प्रेम के साथ
क्यों अलविदा बोलूंगा
मैं जाने से पहले
कभी अलविदा नहीं बोलूंगा।।
Taj Ahmad Nizami 💕