सीता के रखवाले राम थे, जब हरण हुआ – तब कोई नहीं।
द्रौपदी के पाँच पांडव थे, जब चीरहरण हुआ – तब कोई नहीं।
दशरथ के चार दुलारे थे, जब प्राण तजे – तब कोई नहीं।
रावण भी शक्तिशाली था, जब लंका जली – तब कोई नहीं।
अभिमन्यु राजदुलारे थे, पर चक्रव्यूह में – कोई नहीं।
सच यही है दुनियावालों, संसार में -अपना कोई नहीं।
जो लेख लिखे हैं कर्मों ने, उस लेख के आगे -कोई नहीं।