पहली मुलाकात बारिश में
भीगी भीगी रात और भीगी पलकें।
उसने कहा, बहुत बारिश हैं
कब रूकेगी यह बारिश?लगता नहीं रूकेगी।
आज़ भी याद है,वह पहली मुलाकात
भीगी भीगी रात और भीगी पलकें
आंखें झपकाईं और स्माइल की
बारिश का न रूकना और
फिर मेरे सामने देखना।
मेरी आंखों से पहचाना उसने
उसकी आंखें भी बताती थी कि धोखा नहीं खाती।
मत घबराना मैंने भी जवाब दिया
रूकने का नाम नहीं, बारिश में बातें
फिर बातें होती रही लंबी-लंबी बातें।
बस स्टैंड पर खड़े थे, नहीं था कोई आसपास
यह भी उसे याद नहीं और मुझे !
पहली मुलाकात बारिश में
भीगी भीगी रात और भीगी पलकें
फिर बस आईं और वह चली गई
आंखें बता रही थी, तमन्ना फिर से मिलने की।
पहली मुलाकात बारिश में
आधी अधूरी बातें, पूरी करने की कोशिश में
फिर से शुरू होती रही बारिश में बातें।
- कौशिक दवे