"ढलता सूरज"
ढलता सूरज ये सिखा गया,
हर अंत में इक शुरुआत छिपा गया।
लाली लिए जो चला गया,
नया सवेरे का वादा कर गया।
थकान से मत घबरा ऐ राही,
अंधेरे के बाद ही रौशनी आई।
हर ढलती किरण कहती है ये,
कल फिर चमकने की बारी है तेरी।
जो आज रुका है, वो हार नहीं,
बस थोड़ी देर की तलबगार सही।
हौंसले को तू ज़िंदा रख,
हर ढलते पल में उम्मीद रख।
ढलता सूरज भी ये कहता है,
"मैं गया तो क्या, फिर लौटूंगा।
संघर्ष के बाद जीत मिलेगी,
बस तू मत रुक, तू चलता रह।"