संत माधवदास-- भिक्षाटन के लिए आप एक महिला के यहाँ ज़रूर जाते थे.वह आपको नित्य गालियाँ देती थी। एक दिन वह चूल्हे में पोता लगा रही थी। जैसे ही आपने आवाज़ लगायी.उसने उसी पोते को फेककर आपको मारा। आपने उसे बदले में पोता होने का आशीर्वाद दिया। ईश्वर की कृपा हुयी उसके पोता(पौत्र) हुआ। यह थी संत पर भगवान की कृपा। कृपा आप पर भी हो सकती है। कल दस अप्रैल को नैशपीठ के पावन भण्डारा में आप प्रसाद पाने हेतु अवश्य आएँ। निवेदक. गणेश तिवारी पीठाधीश्वर नैशपीठ नरायनपुर जयसिंह चरसड़ी गोण्डा़।