भारत की धरती ने ढाले।
मानवता के पुरुष निराले।।
आदि काल से धर्म-ग्रंथ ने।
सद्गुण के ही भाव उछाले।।
राम कृष्ण महावीर बुद्ध ने।
जीने के नवसूत्र खंँगाले।।
समय समय पर हटी बुराई।
सच्चाई के खोले ताले।।
हिन्दुस्ताँ ने लिखी कहानी।
मानव-हित अध्याय-उजाले।।
छुआछूत की गुजरी बातें।
भेद-भाव कब हमने पाले?
बुरे कर्म का बुरा नतीजा।
मुखड़े रँगे सदा ही काले।।
रामायण गीता पुनीत हैं।
हम सब उसके हैं रखवाले।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*