संत हरिदास जी--आप कृष्ण
भक्त थे। एक बार आप बादशाह अकबर से कुछ धन की इच्छा से दरबार में पहुँचे और खुद को गायक बताया। अकबर ने तानसेन से परीक्षा करवायी और गायकी सिद्ध न होने पर मृत्युदण्ड देने की बात कही।
तानसेन जब गाना गाने लगे तो आपने उन्हें रोककर खुद सही तरीके से गाकर बताया। तानसेन आपके शिष्य बन गए। यह धी भगवान की संत हरिदास पर कृपा। कृपा आप पर भी हो सकती है। नैशपीठ में चार मार्च से चल रहे रामाधुन में आप आइए और अपने बच्चों को भेजिए। आपका शुभेच्छु, गणेश तिवारी पीठाधीश्वर नैशपीठ।