आज फिर उनका गली में आना हुआ,
देखा के सारे रास्ते बेफ्रिक हो गए,
उनके आने की आहट से,
मोहल्ला में फिर किल्लाट होने लगा,
कितने खिलखिलाती गलियों की वादी हो गई,
उनके घर की रोशनी भी चमकने लगी,
वो जो थोड़ा घर के बाहर क्या आईं,
सूरज भी झुककर उन्हें सलाम करने लगा।
- Kamlesh Parmar