Quotes by Lalit Kishor Aka Shitiz in Bitesapp read free

Lalit Kishor Aka Shitiz

Lalit Kishor Aka Shitiz Matrubharti Verified

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(24)

hii everyone
go and read my all time best short novel
"yuva kintu majbur"

https://www.matrubharti.com/novels/47408/yuva-kintu-majboor-by-lalit-kishor-aka-shitiz

राह देखी थी हमने भी बहुत
मगर अब रास्ता दूसरा है
- Lalit Kishor Aka Shitiz

परिस्थितयों के चूल्हे में ही अनुभव की रोटियां सेकी जाती है,
जिनमें कुछ कच्ची और जली हुई भी हो सकती है;
निर्भर करता है की रोटी को कब पलटा गया तथा
आग कितनी तेज थी...
- Lalit Kishor Aka Shitiz

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hii today I have just got verified tick ....✔️ feeling so happy...... heart warming moment for me 🫰🫰.

यह सब आप सभी के प्यार और सहयोग का परिणाम है, मैं मेरे सभी पाठकों के साथ यह खुशी बांटते हुए बहुत ही सुखद महसूस कर रहा हूँ।

बहुत समय बाद मुझे आज लग रहा है कि वाकई मैने कुछ काम किया है। मेरे इस खुशी के मौके पर में आप सभी को एक सूचना और देना चाहूंगा, मैं मेरे सिविल सर्विस एग्जाम के बाद एक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू करूंगा आप सभी को एक बहुत बड़ा सरप्राइज़ मिलेगा,

इसी तरह अपना प्यार और मुझे उत्साह देते रहे,
मैं ईश्वर से आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ।अपना को कहना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी खुद को छोटा समझ के आप सभी को धन्यवाद कहना चाहूंगा अपने इस अमूल्य समय के लिए।

😊😊🙏🙏🙏

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guys go and check it's a new thriller genre for you......you will definitely like it and try to understand the philosophy of this story,........it has A QUESTION in his title

गलत कौन?

https://www.matrubharti.com/book/19969905/who-is-wrong

heii everyone new genre is coming.......you will definitely love ....
title is "गलत कौन".....
here is submitted cover page

क्या हमारा अतीत हमें वास्तव में डरा पाता है या हम उसके बाद भी अतीत दोहराते रहते हैं। जबकि अतीत की कलम में वर्तमान की स्याही भर यदि हम भविष्य के पन्नों पर अपनी रचना रच पाए तो ही जीवन का वास्तविक अर्थ तथा प्रयोजन सिद्ध हो सकता है। परन्तु इस बात का भी ध्यान रखे कि हमारी स्याही में मानवता और प्रकृति का लोप न हो। चूंकि कलम से लिखते समय संभवतः हमारे हाथ पर भी स्याही के दाग बनते हैं। तो सोचना हमें है कि हमें कैसा भविष्य सृजित करना है। ऐसा जहां केवल हमारा ही लाभ हो तथा जिसके प्रभाव में अन्य की हानि हो अथवा एक ऐसा भविष्य जो चिर काल तक समस्त घटकों को प्रभावित करे तथा ये सुनिश्चित हो कि इसमें किसी की हानि न हुई हो। फिर वह शारीरिक आर्थिक सामाजिक मानसिक व वाचिक किसी रूप में स्वीकार्य नहीं होगी।

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बड़ी अजीब बात है कि,
हम जो सोचते हैं वो कर नहीं पाते और जो हमारे साथ होता है वो शायद हम सोच भी नहीं सकते, हमारे हाथ में केवल आज होता है पर इस आज पर बीते हुए कल की परछाई और आने वाले कल की आहट भी होती है। कहने को हम आज में जीते हैं पर वास्तव में हम मात्र बीते हुए कल को छिटक कर आने वाले कल के लिए प्रयत्न करते रहते हैं और जो कि हमारे हाथ में नहीं है कि हम उसे अपने अनुरूप आकर दे कर उसे संजोए रख सके। क्योंकि सच है कुम्हार मटके को कितना ही ऐतबार से नवाजे और तराश कर बनाए पर जब मटका गिरता है तो वह सामान्य मटके की तरह ही चूर चूर होता है। जीवन भी कुछ ऐसा ही है हम अपनी इच्छाओं और आकांक्षाओं के साये में न जाने क्या क्या कर जाते हैं पर जब विपदा आती है तो निश्चित ही क्रूरता से विनाश करती है। जैसे भूकंप या सुनामी नहीं देखते कि हमारी चपेट में बच्चे और महिलाएं है,अथवा वे अल्पसंख्यक है या पिछड़े हैं,क्योंकि आपदाओं में आरक्षण नहीं मिलता वहां तो समानता ही मिलती है।
- Lalit Kishor Aka Shitiz

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happy makar sakranti .......
jab Surya dakshinayan se uttarayan me pravesh karta h to is ghatna ko makar sakranti ke naam se jana jata h, yahi Punjab me lohadi or south india me Pongal, Kashmir me shihsur sakranti tatha utar purvi rajyon me ise magh bihu ke naam se jana jata h.

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चढ़ते सूरज ढलदे देखे,
बुझते दीवें बलदे देखे
हीरे दा कोई मोल न जाने,
खोटे सिक्के चलदे देखे
जिना दा न जग ते कोई ,
वो भी पुत्तर पलदे देखे
उस दी रहमत दे नाल,
बंदे पानी उत्ते चलदे देखे
लौकी कहंदे दाल नी गलदी,
मैं ता पत्थर गलदे देखे
जीना ने कदर न किती रब दीं,
हाथ खाली ओ मलदे देखे
कई पैरा ते नंगे फिरते ,
सिर ते लब्बद छांवा
मैनु दात्ता सब कुछ दित्ता,
क्यों न शुकर मनावां

- बाबा बुल्ले शाह

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