मिलन की घडी।
हा हा तुझे पाने की खुशी है,या फिर तड़प का ऐहसास।
तुझे देखने की चाह है,या फिर ना देखने का रंज ।
तुमे छूने का हक है,या फिर ना छूने की तड़प।
तुझे खुशी हजार दु,या फिर दूर रहने का ग़म।
तेरी बाहों में सुकून लू,या फिर तेरा इंतजार करूं।
कब आएगी ए मिलनसार रात, जिस की कभी सुबह ना हो।
- Kamlesh Parmar