याद करोगे अकेले मे
जब अपना कहने को तो सब होंगे
पर दो मीठी बात करने को कोई पास
बैठा ना होगा
तुमसे एक होने की उम्मीद नहीं थी
फिर भी दिन रात तेरी बातों को सहती रही
सुकून, सुकून कहते कहते कब
तुम्हारे गले का कांटा बन गयी
खबर ही ना हुआ 💔
होश तब आया
जब तुमने आईना दिखा दिया
मेरा टोकना, मेरा गुस्सा करना
रूठ कर बैठ जाना
तुम्हे यह एक पागलपन सा लगता था
चल अब ये पागलपन तुझसे दूर
चला गया 💔
- SARWAT FATMI