महाकुंभ उत्सव।
महाकुंभ बसंत ऋतु राज का शुभ
सौगात है जी। मां सरस्वती जी का त्रिवेणी
संगम मिलाप है जी। चारों शिव शंकर जी का
धाम महाकुंभ महादेव का तीर्थ धाम राज
प्रयाग उपहार का बरसात है जी।
बसंत आ गया है चलो चलें सब मिलकर उत्सव महाकुंभ उमंग और उत्साह से भर कर मनाएं। बंधु सखा नाते-रिश्तेदारों एवं आत्मीय स्वजनों संग
प्रेम मुदित हों झूमते नाचते हर्षोल्लास से बसंतोत्सव महाकुंभ में मनाएं। कोई कोर कसर बाकी
न रहे उत्सव में ऐसा रंग हो हमारे मन में जी।
तन रंग लें मन रंग लें और अन्न धन घर भर
लें जी। कर लो दर्शन महादेव विराजे महाकुंभ संगम
तीर्थ राज। जहां बज रहा ढंका शिव शंकर जी का
निशि वासर जागरण जयकारा होता बाबा विश्वनाथ
भोले नाथ का केवल राज। वो है महाकुंभ महादेव
तीर्थ राज। हर हर गंगे हर हर गंगे हर हर गंगे।
नमामि गंगे नमामि गंगे बोले धरती का कण-कण
बोले जन जन बोले चलों चलो तीर्थ राज प्रयाग राज।
बसंत में चलें प्रयाग राज संगम मेला।
ऋतु राज बसंत राजित तीर्थ धाम में
लगा हुआ है महाकुंभ महादेव दर्शन
पावन पर्व पर मेला। सारे तपस्वी ऋषि मुनि
संन्यासी संग भक्त गण साधु संत कर रहे कल्प वास हवन-यज्ञ खास तट संगम। बना हुआ है
अद्भुत अलौकिक भक्ति सागर नजारा ।
गूंजे हर हर गंगे हर हर महादेव महाकुंभ जयकारा। अद्वितीय अनुपम सौंदर्य अह्रनिश
छलक रहा जन जन दर्शन हर्षित मन।
देश विदेश कोने कोने से उमड़ पड़ा है जन
आस्था का सैलाब। प्रयाग राज की धरती
चमके निशि वासर जैसे दोआब।
महाकुंभ वर्ष १४४ बाद लगा प्रयाग राज छलके अमृत बूंद कण कण में। ढोल बाजे गाजे नगाड़े
सतरंगी छटा बिखेरे शिव शंकर शम्भु के चरणों में। नागा साधु , किन्नर टोली , साधक महादेव
आराधक सज धज कर करतब दिखाते झूमते नाचते और गाते ब्रह्म मुहूर्त में पाएं अमृत स्नान
लाभ।
अपरिमित अध्यात्मिक भक्ति गूंज का शोर
व्याप्त हो गया है संगम पर। नयन निहारे होए
निहाल खुशहाल पाकर महाकुंभ महादेव
महास्नान अमृतमय भक्त सिंचित प्रयाग राज सुधा रस उद्गम पर।
हे महाकुंभ के ब्रह्मांड नायक महादेव अकिंचन अधम दासी करे यथावत यथास्थान
तव चरण दंडवत प्रणाम हो प्रणत नतमस्तक।
जो लिखे पढ़ें और श्रवण करे तथा हूं तेरे पावन
मोक्षदायिनी गंगा स्नान करे मन आनंद भरे
सबको समान फल देकर कृतकृत्य करना।
अर्जी हमारी मर्जी तुम्हारी मेरी आराधना
सब कुशल मंगल रखना। करुण पुकार सुन लेना और इधर आओ तो तनिक विचर लेना
हमारे आंगना हे महाकुंभ महादेव नित नित
पूजें भजें तोहे एक मना।
जय श्री गणेश जी गौरा मैया जी के शिव शंकर जी ब्रह्मा विष्णु और महेश , गंगा जमुना सरस्वती संगम पर विराजमान सर्व देवी देवताओं के चरणों में नमस्कार स्वीकार करो।
यद्क्षरं पदभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्व क्षम्यतां देव देवी महेश्वर पंच परमेश्वर
सर्व कुशल मंगल करोतु मे।
सर्व बाधा हरोतु मे। शरणातम् शरणागतम्
शरणागतम्। सुस्वागतम् सुस्वागतम् सुस्वागतम् महाकुंभ महादेव जी।
जय जय प्रयाग राज तीर्थ धाम।
जय जय मेरा सुख धाम।
- Anita Sinha