on last weekend when I was wondering near the beach ...I swa one girl who is seating on rock Alone and just staring towards the ocen and that beautiful sunset maybe see is in deep thought and suddenly this line come in my mind so I note it down.......
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मैं भी सोचूं,
समंदर आज इतना शांत सा क्यों लग रहा है,
लहरें भी आज चुप हैं,
जैसे किसी की बात सुन रही हैं…
शायद…
कोई आया है इससे मिलने,
कोई जो खुद भी समंदर सा गहरा है,
जो जज़्बातों का सैलाब है,
और खूबसूरती का एक बेमिसाल दरिया है…
हवा भी धीरे से चल रही है,
जैसे उसके कदमों की आहट सुन रही हो,
रैत भी रुक सी गई है एक जगह,
जैसे उसके नर्म पाँव का एहतराम कर रही हो…
वो जो आया है,
शायद अपनी तन्हाई को छोड़ने,
अपने बातों को बयां करने,
या फिर समंदर से ये कहने,
कि उसके दिल में भी अब एक तूफान सा उठ रहा है...
जज़्बातों का बवंडर बढ़ रहा है...
यूँ तो समंदर तू शांत सा दिखाई दे रहा है,
लेकिन अंदर कहीं तेरे भी एक लहर सी उठ रही है…
जैसे समंदर भी उसके ग़मों से बेचैन हो,
जैसे उसके ग़मों को अपनी गहराइयों में छुपा लेना चाहता हो…
आज समंदर और वो,
दोनों एक जैसे से लग रहे हैं…
एक गहरा, एक बेचैन…
एक शांत, एक उदास…
एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते दोनों साथ…
और मैं सोचता रहा,
आज समंदर इतना शांत सा क्यों लग रहा है…
आज समंदर इतना शांत सा क्यों लग रहा है…
_Sanket.