मसला कहा दर्द का है,
मसला तो हर दर्द के मर्ज का है।
मरीज़ यहां कहा लोग शरीर से है,
मरीज़ यहां लोग अपनी सोच के है।
यहां हर तरफ फैली हुई है झूठ की बोलबाला...
तो कहा से कोई सच बोलने वाले शख्स की होगी कदर।
यहां हर जगह फैला हुआ है छल कपट ,
तो कैसे कोई करेगा अच्छे इंसान के ऊपर भी भरोसा।
अपनी गलत सोच के चलते, यहां लोगो को बैसाखी की जरूरत आन पड़ी,
बैसाखी भी ऐसी जनाब कि, जो दिखती तो है नहीं।
छोटी सोच की दीमक इस कदर दिमाग में चिपकी हुई है कि इंसान को अपनी भूल नजर ही नहीं आती है।
जो उनका व्यवहार बार बार साझा कर जाता है।
खुदको समझो में बड़ा, तो भले समझो मेरे यार,
पर दूसरों को कम ना मानो,
हर इंसान अपने अपने चीजों में होशियार ही है।
क्यों करे वैसा व्यवहार, जैसा व्यवहार हमें खुद की लिए पसंद नहीं।
जिंदगी का एक मात्र असूल है जनाब कि...
जैसे कि मेरे पसंदीदा हीरो थे जिनके मुंह से मैने यह सुना था कि.......
इज्ज़ते, शोहरते, चाहतें, उल्फतें ,
कोई भी चीज़ दुनिया में रहती नही
आज मै हूँ जहाँ, कल कोई और था
ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था
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