राहे................
जब सोचता हुं ...याद तुम्हारी आती...|
सोता हुं तो खाबोमें..तुम्हेही पाता हुं....|
हकीकत ये है की..
"मै तुम्हे चाहता हुं".!!
चाहत है..
तुम्हारे साथ रहनेकी..
हरदम तुम्हे करीब पाने की
मगर
जिस मोडपे..तुम हो जिंदगीके
.वो कुछ ओर ही डगर है|
चाहत तो ईतनी की अपना बनानेकी..अपने दिलमे बसानेकी..
मगर चाहतसे क्या होता है..??
अगर "राहे" अलग हो तो....
----------------------- वृषाली.