सादर वन्दन सहित मंच में सभी को आदर सहित समर्पित कृपया लघु रचना आकलन, समालोचना अपेक्षित है -
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उड़ान की उम्मीद
उठा जो डर का पर्दा, निगाह आसमां मिला,
गिरने का था खौफ, उक्बाह तन्हायां मिला।
स्थिरता की गहराई
खामोश लहरें बोलती हैं, दिल के किनारे पे,
मगर जो ठहरा वो, मिल गया बे सहारे पे।
मन की उड़ान
मन का सन्नाटा ही सबसे ऊँची उड़ान है,
जहाँ शब्द सिमटते हैं, वहीं तो जहान है।
उड़ान और ठहराव
चलो हवा से कह दें, हमें भी वो सिखा दे,
गिरने का डर नहीं, हौसला नया दिखा दे।
ज़मीं का क्या है यारों, थामती रही बरसों,
मन की उड़ान लेकिन, जाए थमे की ठहरों।
जहाँ न आवाज़ पहुँचे, जहाँ न कर्म का शोर,
बस वहीं “मैं“ मिटे, वहीं तेरा मेरा ओर-छोर।
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प्रतिदिन आहार में संभव करे कि साबुत अनाज जिसमें जौ, ज्वार, मक्का, बाजरा, चना मूंग मोठ आदि स्थानीय बतौर उपज को अपने भोजन में रोटी दलिया और राब में स्थान देवें और उत्तम जीवन के साथ आदर्श, स्वस्थ्य और समग्र जीवन को अग्रसर सभी रहे यदि साद्र प्रार्थना-सविनय निवेदन है ।
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जुगल किशोर शर्मा, बीकानेर
मननं कुरु, चिन्तनं कुरु, कर्मभावं धारय the importance of reflection, contemplation, and maintaining the spirit of action (karma). - लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु में समाहित सहज सनातन और समग्र समाज में आदरजोग सहित सप्रेम स्वरचित