Hindi Quote in Poem by kiranvinod Jha

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भाग गए रणछोड़ सभी,
देख अभी तक खड़ा हूँ मैं
क्या हुआ विजय न चूम सका,
क्षमता भर अपनी लड़ा हूँ मैं।

ग्लानि जो खुद से हार गए,
वैसा बेचारा नही हूँ मैं
जाके कह दो विषम लक्ष्य से,
हारा नही हूँ मैं।

प्रत्यंचा टूट गई तो क्या
फिर से पिनाक मैं बाँधूंगा
अड़चन आएंगी आने दो
अंतिम साँसों तक साधूंगा
कब तक चूकेंगे साध्य मेरे
भाग्य का सहारा नहीं हूँ मैं
जाके कह दो विषम लक्ष्य से हारा नहीं हूँ मैं।

जितना संघर्ष कठिन होगा
उतनी ही प्यारी विजय होगी
फिर तूफानों में भी लड़ने में
काया वो निर्भय होगी
मजधारों का ही राही हूँ
देख किनारा नही हूँ मैं
जाके कह दो विषम लक्ष्य से हारा नही हूँ मैं

जीवन तो है बस इतना ही
हम जीते हैं या मरते हैं
बेकार बैठने से अच्छा
जो कुछ शुरूआत तो करते हैं

कम से कम अपनी आकांक्षाओं,
का हत्यारा तो नही हूँ मैं
जाके कह दो विषम लक्ष्य से, हारा नही हूँ मैं।

जब मेहनत सफल नही होती,
हिम्मतें दांव दे जाती है

विश्राम नही दूंगा खुद को,
ये हार बहुत सिखलाती है
गिरकर उठने का आदी हूँ,

ठोकर का मारा नहीं हूँ मैं

जाके कह दो विषम लक्ष्य से, हारा नहीं हूँ मैं .....
वंदे मातरम् जय श्री राम हर हर महादेव 🚩❤️🙏👍🇮🇳🌹
Skm ✍️
- kiranvinod Jha

Hindi Poem by kiranvinod Jha : 111956105
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