दिल और दिमाग का फ़र्क़
(The Difference Between Heart and Mind)
तुमने चांद देखा या बादल,
समंदर की बूंद बैठी या इंसानियत की आँख से आँसू निकले?
जज़्बात में बह जाता है दिल,
दिमाग से तो बस सियासत की जाती है।
दिल, ये कमबख्त दिल, ऐसी दवा, ऐसा गुण है,
इंसान तो छोड़ो, भगवान को भी रुला देता है।
दिल की धड़कन में छुपी हैं अनकही दास्तानें,
सपनों की रंगीनियाँ, और बिछड़े रिश्तों की निशानें।
दिल की गहराई में हैं ताजगी और ग़म,
हर खुशी के पीछे छिपा होता है एक सन्नाटा असम।
जब दिल की आवाज़ सुनते हैं,
तब हम ज़िंदगी के सच्चे रंग देखते हैं।
लेकिन दिमाग का क़िस्सा कुछ और है,
ये तर्क और गणना का घर, निर्णय का जोर है।
सियासत की चालें, और रिश्तों का व्यापार,
इंसानियत की सोच से दूर, ये बस चकनाचूर करार।
दिल और दिमाग के बीच है एक गहरा फ़र्क़,
एक हमें जीने की राह दिखाता, दूसरा है सिर्फ़ एक झलक।
जब दिल के जज़्बातों को समझने की कोशिश करो,
तो शायद सच्चाई की परछाई को पाओगे, जो कहीं खो गई हो।
इंसान का असली अस्तित्व है दिल में,
जज़्बातों की बहार, और प्यार की खुमारी में।
सच्ची खुशी, सच्चा प्यार, दिल से ही तो मिलता है,
तभी तो, हर दर्द में, दिल ही मुस्कुराता है।