" छल कपट "
इस दूनिया मे कोई किसी का ना रहा है आज ,
सब पैसे प्यार पाने के लिए छल कपट कर ने लगे ,
लंबी कतारें लग गई है छल कपट की आज ,
भाई भाई को लूट रहा, दोस्त बने आज विश्वास धाती ,
लूड रहे सब ऐक दूजे को, अपना हो या पराया ,
भरोसा करना तो बन गया है सबसे बड़ा नूक्सानी ,
पाप अब बढने लगा है कोई कीसी का ना रहा है ,
समाज सेवा के नाम पर छल कपट कर जातेहैं ,
प्रभु की सेवा बोल पैसे कमाये जाते हैं ,
वो उपर वाला सब देख रहा सबके कर्म वो लीख रहा ,
कर्म के फल यही भोग के जाना है , ओर पछताना है ! !
~ spiritual lover