असम में सांप्रदायिकता फैलाता मुख्यमंत्री
भारत का हर शहरी देश के किसी भी राज्य में जाकर व्यापार कर सकता है । अनुच्छेद 301 पूरे देश में व्यापार, वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता के बारे में बतलाता है । वैसेही भारत में अनुच्छेद 25 से 28 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है । साथ ही समानता का अधिकार भी है ।
फिर भी असम का मुख्यमंत्री 'मियां मुसलमान' यानी बंगाली मुल के मुसलमानों के खिलाफ खुले आम साम्प्रदायिकता बढा रहा है । हेमंता सरमा ने ख़ासकर "मियां मुसलमानों" को लेकर जिस तरह के बयान दिए हैं, इसके परिणामस्वरूप असम में सांप्रदायिक माहौल पैदा हो गया है ।
असम में मछली आहार का एक अभिन्न अंग है । नागांव, मोरीगांव और कछार प्रमुख मछली उत्पादन केंद्र हैं । राज्य में मछली पालन व्यवसाय में मुस्लिम व्यापारियों की अच्छी खासी भागीदारी है । अब मुसलमान बीजेपी को वोट नही करते । वह सेकुलर दलों के साथ खडे नजर आते है । यही बात से सरमा को बडी दिक्कत है ।
हिमंत सरमा का बयान एक बार फिर चर्चा में है । उसने लोगों से अपील की है कि वे मिया मुस्लिमों की ओर से उत्पादित मछली न खरीदें । उसने कहा है कि ये लोग मछली उत्पादन में यूरिया का अत्यधिक उपयोग करते हैं, जिससे किडनी की बीमारियां होती हैं । लेकिन इसने किस लैब मे जाकर यह टेस्ट करवाया? क्या पुरे लोंगो का टेस्ट किया गया? यह खुद प्रदेश का मुख्यमंत्री है, इसने इस बारे मे क्या किया, इन सवालों के जवाब कभी नही मिलेंगे ।
हेमंत बिस्वा शर्मा ने एक बार कहा था की, 'मियां मुस्लिम' हमें वोट नहीं देते । उसने कहा, ये बात मैं अपने अनुभव से बता रहा हूं । उन लोगों ने हमें पंचायत चुनाव में वोट नहीं दिया, लोकसभा चुनाव में भी वोट नहीं दिया । इसकी असल दिक्कत यह है ।
सबका साथ - सबका विकास इसमें मुसलमान कहीं नही है । मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाकर ही बीजेपी सत्ता हासिल कर सकती है । सत्ता में रहकर भी इन्हें बहुसंख्यक समाज को मुसलमानों का डर दिखाना पडता है । बहुसंख्यक समाज के लोग भी इनसे नही पूछते की, आपने सत्ता में रहकर कुछ क्यों नही किया । अगर गुनाहगार होते तो, कानून तो है ही । पुरे बीजेपी शासित राज्यों का यही हाल है ।
बीजेपी वाले मुसलमानों का वोट लेना चाहते है, लेकिन वह मुसलमानों का भला करना नही चाहते । आए दिन हर राज्य में बीजेपी के नेता मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिकता और नफरत फैलाकर चुनाव जितना चाहते है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले 18 विपक्षी दलों के संयुक्त मंच ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के ख़िलाफ़ भी एक एफ़आईआर दर्ज कराई है । यूनाइटेड ऑपोज़िशन फोरम ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भेजकर मुख्यमंत्री सरमा को बर्खास्त करने की मांग की है । लेकिन न्याय मिलने की उम्मीद ना के बराबर है । कम से कम राष्ट्रपतीजी इस बारे में एक शब्द भी बोले यह बहोत है ।
- शेख हाजीमहोम्मद उस्मानसहाब
नांदेड, महाराष्ट्र