कल्पना का आभास, काल का महाकाल,
जीवन आरंभ - अंत का उद्धार, सदा शिव है,
कंठ नीला विष को ठंडा करे अमृत बना श्वावं महिना माथे का चाँद सितल है,
भष्म की आरती, श्रुंगार शरीर पर चंदन लगाए शिव के अनेक रूप है,
डम डम डमरू डमरू हाथ मे त्रिशूल शिव का तांडव विशवंध विनास जैसा,
अवतार अनेक जलन्धर, काल भैरव और नटराज मै अनेक रूप आदि अनादि शिव है,
शिव समाधि, शिव ही शक्ति, प्रेम करुणा -योग कर्म से बंधा सत्य का जीवन शिव है,
जटा मे गंगा, त्रिनेत्रधारी, सर्जन संघार का सर्जन हार शिव अलंककारी है,
रुद्र वो रक्षक वो, जग जग के महिमा का निर्माता, पलनहर के भोला शिव शंकर महादेव है ।
JAY SHIV SHANKAR BHOLE NATH 💕
DEAR ZINDAGI