बहुत भीड़ है यहां, मत आइएगा।
हो सके तो जहां हैं वहां रुक जाइएगा।
सालों से यहां कुछ लोग दरवाज़े पर बैठे हैं।
अभी अर्जियां बाकी हैं , अभी सांसें चल रही हैं,
ये चले जाएंगे एक दिन, फिर आरज़ू लेके आइएगा।

- महेंद्र शर्मा

- Mahendra Sharma

Hindi Poem by Mahendra Sharma : 111946506
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