कभी कभी…मन करता है जी भर के रोने का…
पर रो नहीं सकते….
मर्द हैं ना…और मर्द रोते नहीं….
हमें भी कुछ बातें दिल पर लग जाती है
अंदर की भावनाएं गले तक आ जाती है
दिल का भारीपन सहे नही सकते
और किसीसे कुछ कहे नही सकते…
आँसू भी आँखों तक आ जाते हैं
मगर कम्बख़्त बहे नही सकते…
मर्द हैं ना…और मर्द रोते नहीं……………………
Dk’s world…