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Devesh Sony

Devesh Sony

@deveshsoni285gmailco
(17.4k)

चाँद की बात है तो आसमान की सैर लिखुं…

तु महसूस कर सके तो कलम के बग़ैर लिखुं…

Dk’s world…
- Devesh Sony

…तो तुम चाहती हूँ कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ लिखूँ
यानी कि तुम ये चाहती हो कि मैं अब से कुछ ना लिखूं…
क्योंकि शायरी ग़ज़ल गीत कविता मैं तुम समा नहीं सकती…
मल्लिका रानी परी जैसे शब्दों की कतार तुम्हारे आगे कम सी लगती…
क्यों तुम ये चाहती हो कि मैं शब्दों के समंदर में डूब जांऊ और मुझे कुछ न मिले…
मैं कोई जादूगर तो नहीं कि मुठ्ठी बंद करके खोलुं तो
शब्द निकले…
क्यों मैं पालूँ कुछ न लिख पाने के शिकवे गीले…
रब्बा मेरे…ये कैसी बेबसी ये कैसे सिलसिले…
मगर फिर भी तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ लिखूँ…
तो सुनो…
तुम कुदरत की बनाइ हुई अनमोल अनुपम रचना हो…
मैं तुम्हें कोई उपमा नहीं दे सकता
क्योंकि तुम ख़ुद एक उपमा हो…
Dk’s world…
- Devesh Sony

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पहले सी अब मुलाक़ातें नहीं होती…
बात तो होती है…मगर बातें नहीं होती…

मसरुफियत में सब कोरे-कोरे…
बूंदे तो गिरती…बरसातें नहीं होती…

Dk’s world…
- Devesh Sony

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कभी कभी…मन करता है जी भर के रोने का…
पर रो नहीं सकते….

मर्द हैं ना…और मर्द रोते नहीं….

हमें भी कुछ बातें दिल पर लग जाती है
अंदर की भावनाएं गले तक आ जाती है
दिल का भारीपन सहे नही सकते
और किसीसे कुछ कहे नही सकते…
आँसू भी आँखों तक आ जाते हैं
मगर कम्बख़्त बहे नही सकते…

मर्द हैं ना…और मर्द रोते नहीं……………………
Dk’s world…

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कुछ युं उतारा तुम्हें…

कुछ युं उतारा तुम्हें…अपने पन्नों पर…

बेचैन हो उठे देखने को तुम्हें पढ़ने वाले…

Dk’s world…

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#Smile

ए जिंदगी... थोडा मुस्कुरा दे ना...!
ओ जिंदगी... थोडा मुस्कुरा ही दे ना...!

दब गई जो जीम्मेदारीयों के बोज तले...
उठाकर उस मुस्कुराहट को लगा गले...
बेबस ख्वाबों के परींदो को उडा दे...
बेडीयों में बंधे घरोंदो को जला दे...
बस थोडा ही सही मुस्कुरा दे... मुस्कुरा दे ना...!

गमों के धागों से इन होंठों को जो तुने सी रख्खा है...
रीहा कर इन होठों को... थोडा मुस्कुरा दे ना...
झुकी आंखों के अंदर दर्द का जहेर जो पी रख्खा है...
उस खारे पानी को बहा दे ना...
चैन मील जायेगा... थोडा मुस्कुरा दे ना...!

माना की वक्त का सीतम है बेहद...
उफफ...ये रस्मो रिवाजों की सरहद...
मगर कुछ देर इन सीमाओं से परे होके...
सोच से दूर जाके...
जो साथ है उन खुशीयों के पलों को लेके...
हौंसलो के परोंँ से... उम्मीदों के भरोसे...
उस खुले आसमान को होके...
चल... प्यार के जहाँ में चलते है...
बडा सुकुन मिलेगा... अब मुस्कुरा भी दे ना...!

Dk’s world…

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ए ज़िंदगी…

નાજુક ને નમણું….
તુ મારી આંખોનું શમણું…

હું શાંત ખારો દરિયો…
તુ ખળખળ વહેતું મીઠું ઝરણું…

Dk’s world…

जरा संभल के रेहना उस शख़्स से…
जिसके दिल में भी दिमाग़ हो…

जरा संभाल के रखना उस शख़्स को…
जिसके दिमाग़ में भी दिल हो…

Dk’s world…

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रातभर तेरे ख़्वाबों का पानी बरसा…

दरिया में डूबकर भी…मैं तरसा तरसा…