स्याही मेरी काली है
कागज सब श्वेत-सफेद,
सरस्वती मेरी जिह्वा पर
भविष्य पर लिपटी लाली है।

सुर में शब्द जाल है
घर का नाम महान है,
खेत-खलियानों पर बैठा
मेरा अटल ध्यान है।

युग पूरा विज्ञान है
नक्षत्रों में विद्यमान है,
झोला मेरे काँधे पर
समय का पूर्ण ज्ञान है।

स्कूल सार्थक सपना है
जोड़-घटाना करता है,
गुणा-भाग के भीतर रह
हमें सुरक्षित रखता है।

* महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111940211
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