हम तो दम से बेदम होते है
खुशी कम ज्यादा गम होते है

हिजाब जब बेहिजाब होते है
उनकी नजरों से नजर अंदाज
होते है

मेह जब आंखो से छलकते है
बह जाते है हम बहके से होते
है

सज़ा सी लगती है मुझे जिंदगी
ना दिन को सुकून ना रात को
हम सोते है

तरसते रहे इश्क की कुछ बूंद को
वो लगाते है आग हम खाक होते है

-गुमनाम शायर

English Shayri by गुमनाम शायर : 111936170
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