मैं वो टूटा हुआ घर हुं
जिसका टूटना,बिखरना
किसकी नजरों को कभी
अखरा ही नहीं..
मेरी दरारें भरने की
नाकाम कोशिशें कभी
किसी ने की ही नहीं..
मुझे संभाला और निखारा
जा सकता था ये कभी
किसी ने सोचा ही नहीं..
मैं वो टूटा हुआ घर हुं
जिसे मकां से ज्यादा
कभी किसी ने कुछ
समझा ही नहीं..!!