कलयुग में न्यारी है यारी....

कलयुग में न्यारी है यारी।
अंदर से है चले कटारी।।

त्रेतायुग के राम राज्य पर,
कलयुग की जनता बलिहारी।

राजनीति में चोर-सिपाही,
खेलम-खेला बारी-बारी।

विश्वासों पर घात लगाकर,
चला रहे यारी पर आरी।

जनता ही राजा को चुनती,
नहीं समझती जुम्मेदारी।।

मतदाता मतदान न करते,
जीतें-हारें, खद्दर-धारी।

मतदानों का प्रतिशत गिरता,
यह विडंबना सब पर भारी ।

मनोजकुमार शुक्ल मनोज

Hindi Shayri by Manoj kumar shukla : 111933137
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