इम्तिहान
ना पूछ क्या मैं तेरा ,इम्तिहान चाहता हूँ,
तेरी नज़रों से तेरी,पहचान चाहता हूँ।
खुद की नजरों में होगे तुम नेक जरा सोच लो,
तराजू पर पूरा ईमान चाहता हूँ।
मजबूरियां नहीं है तो और क्या है आखिर,
शराफत ये ग़ैरत बयान चाहता हूँ।
ना डर हो खुदा का ना जन्नत का लोभ,
बेख़ौफ़ में तुम क्या हो वो नाम चाहता हूँ।
अजय अमिताभ सुमन