....हम इंसान जिस वक्त किसी विशेष भावना में सराबोर होते है ,
ठीक उसिके अनुरूप हमे ये दुनिया नजर आने है।जैसे द्वेष,क्रोध,मत्सर ,अनुराग,विश्वास ,सुहृदयता एवं प्रेममयी अवस्था।
किसी के अपने पन के दो चार शब्द ही अकेलेपन के कारागार से मुक्त कराने के लिए पर्याप्त होते है।
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