क्यों अपनी गलतियों को छुपाते हो?
जब पता है कि ज़िन्दगी किसी की कदरदान नहीं होती।
क्यों पीछा छुड़ाना चाहते हो ज़िन्दगी से?
जब पता है कि ज़िन्दगी किसी की मेहमान नहीं होती।
क्यों उम्मीद करते हो ज़िंदगी से आसान होने की?
जब पता है कि ज़िन्दगी किसी की आसान नहीं होती।
क्यों कमाई की उम्मीद करते हो ज़िंदगी से?
जब पता है कि ज़िन्दगी कभी व्यापार नहीं होती।
- Srishty Bansal