माई!
आपकी चुप्पी अब डांट से ज्यादा चुभती है।
आपके डांटे बिना गलती कर देने का एहसास होता है। गुनेहगार होने का एहसास हो आता है।
माई चुप्पी तोड़ दीजिएना।
आपकी चुप्पी डरावनी है माई !
गभराहट होती है।
परायपन लगता है। कहां खो गया वो अपनापन!
हां! आपके होने के एहसास को कहीं और खोजता हूं में मां!
क्योंकि आपकी कमी का एहसास हर पल होता है। हर कहीं ये निगाहे आपको खोजती है। आप नही होती तो मन उदास हो जाता है।

आपसे माफी मांगू या आपको मनाऊं!!
आप कबसे चुप्पी थामे हुए है।
गलती माफ भी कर दो माई !

अपनी चुप्पी तोड़ दीजिए !

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Hindi Story by बिट्टू श्री दार्शनिक : 111923724
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