जब तक मिली न थी मैं उसको
वो मेंरे लिए तड़पता था
मेरी मुहब्बत नसीब हो जाए उसे
मेरे साथ को दिल उसका मचलता था
जो पा लिया इश्क मेरा उसने
बेपरवाह हो हुआ
बेफिक्री अपनाई उसने इश्क जैसे हवा हुआ
इकरार किया जब से प्यार का
सबब बना वही मेरी खुशियों की हार का
-Kavya Soni