उदासी दिल की तुम्हें समझ न आए
तुम क्यों नहीं समझते तेरा बात न करना जान ले जाए
दर्द और तड़प दिल की ऐसी
जैसे आसमान में छाया जैसे एक उदास सा बादल
बादल में सिमटी तन्हाई की बारिश
बारिश में दूरियों के दर्द की बूंदे
ये बूंदे जैसे आंखों से बहती आंसुओं की धार
आंसू जैसे नमक
जिसमें तेरे बेपरवाह इश्क से मिले जख्म
जख्म गहरा दर्द बेहिसाब दर्द में हूं मैं
और मुझे सिर्फ और सिर्फ तुम
-Kavya Soni