ना नखरे वाली
ना झुमके वाली
ना बनावटी दिखाने वाली
ना ही भाव खाने वाली
हमे तो चाहिए
संस्कार वाली
जिसकी सादगी ही उसका गहना हो
जिसकी ऑखें देखू तो काजल भी सरमा जाये
बनावटी दूनिया से अलग
सादगी की दिवानी
जो दूर किसी वादी मे रहती मेरी
सपनो की रानी
मे जब उसके पास जाता हू उससे बात करता हू
उसकी वो नजरे उपर नही उठती
पढी लिखी अच्छी है
मगर माॅडन जमाने से अलग
किस से किस तरह बात करना है
वह लहजे का सलिका
यह अदा तो मुझे अच्छी लगती
Dr. साहिबा..miss you ❤️ 😍