न जाने क्यों आज एक डर सा लगता हैं,
दिल कि गहराइयों में एक निराशा सी छाने लगी हैं, तुम कहते तो बहुत हो कि तुम हमारे हो,
पर इस दिल में न जाने क्यों अंधेरा घर कर रहा हैं, दिन प्रतिदिन वह अपना दायरा फैला रहा हैं,
हो न जाये कही वो वादे झूदा जो किये थे हमने एक दूसरे से, जो बातें हम आँखे मिला कर किया करते थे, न जाने क्यों आज आँखे मिलाने से भी डर लगता हैं 😞