चल तेरी दुनिया से कही दूर चले जाते है,,
अपनो की महफ़िल में खुद को अजनबी बताते हैं...
जितने भी जतन,किए तेरे दिल में खुद के लिए
जगह बनाने को, जरा सा लापरवाह होके बेवफा हो जाते हैं...
और ....
ये जो हर दफा उठाते हैं सवाल हमारे किरदार पर माही,वो दूसरे हमारी वफा देखने ही क्यों आते हैं..
हमे पता है इस गुस्ताख़ दिल का कसूर क्या है
फिर क्यों हर बार वो नजरो से गिरने का एहसास कराते है...
मलाल इतना सा है मेरी कोशिश नाकाम रही
तेरी मोहब्बत में ,,
फिर अब कहाँ हम किसी से इश्क फरमाते है...!