न्याय की गुहार लगा रही धरने पर बैठी बेटियों के समर्थन में कुंडलियाँ विधा में मेरी एक रचना ...
बेटी बैठी सड़क पे, बार बार दुहराय
अब तो सुन लो बात को, दे दो हमको न्याय
दे दो हमको न्याय, देर अब ठीक नहीं है
न्याय है मेरा हक, जान लो भीक नहीं है
कहे 'राज' यह बात, ध्यान से सुनना मेरी
जनता है सरताज, व नेता उनकी चेरी
राजकुमार कांदु
स्वरचित /मौलिक