कहने तो यह कहा जाना चाहिए कि तुम्हारे सीने से लगकर मेरे वक्षों ने बहुत सुख पाया
पर मेरी पीठ जानती है कि सबसे ज़्यादा सुख तुम्हारे सीने से सटकर उसको मिला है
तुम्हारे मेरे बीच प्रेम के सब सुख औंधे क्यों हैं साथी!
स्रोत :
रचनाकार : सुषमा गुप्ता प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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