मेरी कहानी भी अजीब है
ना जाने क्यों ये दिल जिदी है
तूफान समेट लूं,सागर को मुट्ठी में भर लूं
अविरल जल सा बहता हु
हर लम्हा अग्नि सा जलता हु
ज्वालमुखी सा दहकता हु
तेरे पहलू में आके सुकून पाता हु
ना करू फिकर कल की
सच करने सपने बेधड़क चलता हु
कुछ तो है तुझ से मेरा वास्ता
यूंही नही तेरी आंखों में खुद को ढूंढता हु
तेरे पहलू में आके सुकून पाता हु
-Hari Virah Yogi