कुछ कहना चाहती है ये आंखे
बात अधूरी रह जाती है हर बार
मेरी पहचान में छुपी तेरी पहचान
फिर क्यों दूरी रह जाती हर बार
एक तू ही तो है मेरे दिल का सुकून
फिर क्यों सुनी रह जाती ये गलियां हर बार
बना ले तू बसेरा मेरी रूह में
ना रहेगी कोई दूरी ना हो कोई बात अधूरी
हर लम्हा तुझे देखू तेरी आंखों के बोल सुनूं
पहचान एक हो मेरा मकाम तेरी खुशियां का पैगाम हो
-Hari Virah Yogi