मे देखता रह गया वोह छोड़ गया
मे ठहर गया वोह गुजर गया..!
वोह क्या गुजरी सब ठहर गया
वोह छोड़ गया मे देखता रह गया..!
सब बीत गया यादें बाते और सपने
वोह ठिकाना वोह सफर मे देखता रह गया..!
यह इंसान टूट गया जैसे मौसम मिजाज का
यह रात यह बरसात सब छोड़ गया मे देखता रह गया...,!
वोह क्या जुदा हो गया मे खफा हो गया
वोह छोड़ गया मे बिखर गया और तन्हा रह गया...!
वक़्त बदल गया तेरा ख्याल रह गया
तू बदल गया भरत देखता रह गया...!
-bharat vinzuda