Hindi Quote in Poem by Mukesh Dusad

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तू अनजाने मोड़ पर बैठा क्यू है
अब तो सुबह हो गई लेटा क्यू है
तू धूप में आ किसी भी रूप में आ
तू बरसते बादल कड़कती बिजली में आ
वहां रुका क्यू है तू इतना थका क्यू है
तू रूठ तो गया है बस टूटना मत
क्या तू कहीं सो गया है
क्या अपनी मस्ती में कही खो गया है
तू अभी तक खोया क्यू है तू अभी तक सोया क्यू है
उठ अभी तू मजबुर है चलते जा बस मंजिल दूर है
दिन और रात एक कर दे मंजिलों के रास्ते अनेक कर दे
तू रुक मत तू झुक मत बस आग जलने दे
तू अपने आप को बस चलने दे
तूफ़ान भी होगा आंधी भी होगी और होगी बरसात
तू अकेला है बस अकेला चल नहीं होगा कोई साथ
तू अनजाने मोड़ पर बैठा क्यू है
अब तो सुबह हो गई लेटा क्यू है
धन्यवाद
...✍️मुकेश दुसाध

Hindi Poem by Mukesh Dusad : 111837522
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