Hindi Quote in Poem by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव

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*दुपट्टा*

तुम्हारे लिए वो सिर्फ एक दो मीटर का कपड़ा है,
पर उसके लिए सब कुछ है ये दुपट्टा!!
पिता का विश्वास लिए एक एक धागे में,
माँ की नसीहतें लिए हर एक सलवट में!
भाई की डांट और फिक्र का रंग लिए,
भाभी की तेज नजर का कहर भी है इसमें!
सबको समेट उस दुपट्टे में,
जब रखती है वो घर से बाहर कदम..
डर रहता है कि कहीं..
पिता के विश्वास का कोई धागा खिंच न जाए,
कहीं माँ की नसीहतों की सिलवट मिट न जाए!
कहीँ भाई की फिक्र के रंग को फीका न कर दे,
कहीं भाभी के शक को पुख्ता न कर दे!
लपेट अपने सीने पर वो दो मीटर का दुपट्टा,
खुद को सहेजती सम्हालती है!
खुद को छिपा उस दुपट्टे की ओट में,
न जाने क्या क्या छिपाती है!
डरती है सहमती है घबराकर,
घर से जब निकलती है.!
एक पल नहीं सोचते तुम ,
जब खींचते हो उसका दुपट्टा!
तुम्हारे लिए सिर्फ दो मीटर कपड़ा है,
पर उसके लिए उसका मान सम्मान
अभिमान और स्वाभिमान है.. !!
सिर्फ एक साधारण कपड़ा नहीं,
लड़की और उसके परिवार का
मान है वो साधारण सा दुपट्टा।
तुम्हारे लिए वो सिर्फ एक दो मीटर का कपड़ा है,
पर उसके लिए सब कुछ है ये दुपट्टा!!
धन्यवाद
डॉ. शैलजा श्रीवास्तव।

Hindi Poem by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव : 111837022
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